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दुनिया की दो सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियों — अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) — के बीच एक ऐतिहासिक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिसे 21वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक घटनाक्रमों में से एक माना जा रहा है। इस समझौते का लक्ष्य न सिर्फ द्विपक्षीय व्यापार को गति देना है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को और अधिक स्थिर, पारदर्शी और हरित बनाना भी है।
समझौते के तहत दोनों पक्ष कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों — जैसे ऑटोमोबाइल, फार्मा, कृषि, डिजिटल सेवाएं और हरित ऊर्जा — में व्यापार बाधाओं को हटाएंगे और आयात-निर्यात शुल्क में बड़ी कटौती करेंगे। इससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं को अरबों डॉलर का प्रत्यक्ष लाभ मिलने की संभावना है।
इसके अतिरिक्त, डेटा सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और जलवायु परिवर्तन जैसे उभरते वैश्विक मुद्दों पर भी सहयोग को एक नई दिशा दी जाएगी। एक संयुक्त समाधान तंत्र (Dispute Resolution Mechanism) स्थापित किया जाएगा ताकि व्यापारिक विवाद समयबद्ध और पारदर्शी ढंग से सुलझाए जा सकें।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसे “अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का स्वर्ण युग” बताया, जबकि EU प्रमुख ने कहा, “यह समझौता लोकतांत्रिक साझेदारों के बीच स्थिरता और साझा जिम्मेदारियों का प्रतीक है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच पश्चिमी दुनिया को एकजुट करने और वैश्विक व्यापार प्रणाली को संतुलित करने की दिशा में निर्णायक कदम साबित होगा।
