हर बीप में जिंदा उम्मीद: डॉ. फातिमा डॉलर की प्रेरक सफलता कहानी

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फिलाडेल्फिया के टेंपल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल की ICU में लगातार बजती बीप की आवाज़ों के बीच डॉ. फातिमा डॉलर की कहानी हौसले, इंसानियत और विश्वास की मिसाल है। दाऊदी बोहरा समुदाय से आने वाली यह डॉक्टर आज सैकड़ों जिंदगियों की उम्मीद बन चुकी हैं।

ह्यूस्टन में जन्मी और पली-बढ़ी फातिमा ने बचपन में देखा कि कैसे ICU में हर पल ज़िंदगी और मौत के बीच संघर्ष होता है। तभी उन्होंने ठान लिया था — सिर्फ डॉक्टर नहीं, एक दयालु चिकित्सक बनना है। लेकिन उनकी राह आसान नहीं थी। मेडिकल स्कूल की वेटलिस्ट में नाम ना देखकर उन्होंने लगभग हार मान ली थी, पर क्लास शुरू होने से ठीक पहले आया एक कॉल उनकी ज़िंदगी बदल गया।

टेंपल यूनिवर्सिटी में पल्मोनरी क्रिटिकल केयर की फ़ेलोशिप के बाद ICU उनका “दूसरा घर” बन गया। वह कहती हैं, “यहाँ हर दिन इंसानियत की परीक्षा होती है। कभी एक मुस्कान किसी मरीज को उम्मीद दे जाती है।”

डॉ. फातिमा तकनीक और इंसानियत का संगम हैं। अपने शोध में वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करती हैं, लेकिन मानती हैं कि “AI डॉक्टर की जगह नहीं ले सकता, क्योंकि यह करुणा महसूस नहीं कर सकता।”

उनका विश्वास, मेहनत और संवेदनशीलता उन्हें बाकी से अलग बनाते हैं। वह कहती हैं, “सफलता का मतलब हर बार जीतना नहीं है, बल्कि हर बार पूरे दिल से कोशिश करना है।”

ICU की हर बीप के साथ डॉ. फातिमा यह याद दिलाती हैं — ज़िंदगी उम्मीद पर टिकी है, और सच्ची चिकित्सा वही है जहाँ विज्ञान के साथ करुणा भी जिंदा हो।

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