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भारतीय क्रिकेट में चयन प्रक्रिया एक बार फिर विवादों में है. घरेलू क्रिकेट के सबसे स्थिर और भरोसेमंद बल्लेबाज़ों में शुमार सरफ़राज़ ख़ान को दक्षिण अफ़्रीका ए के ख़िलाफ़ होने वाली आगामी सिरीज़ के लिए इंडिया ए टीम में शामिल नहीं किया गया है. इस फैसले ने क्रिकेट जगत में कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
अश्विन का बयान बना चर्चा का केंद्र
टीम चयन को लेकर बढ़ती नाराज़गी के बीच भारतीय ऑफ़-स्पिनर रविचंद्रन अश्विन का हालिया बयान फिर सुर्खियों में है.
अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा था — “भारतीय क्रिकेट में सब कुछ अप्रत्यक्ष बातचीत पर चलता है. मैं चाहता हूँ कि यह बदले।”
इसके अलावा कई विशेषज्ञों का मानना है कि सरफ़राज़ ख़ान का चयन न होना इसी “अप्रत्यक्ष बातचीत” की संस्कृति का ताज़ा उदाहरण है.
शानदार आँकड़े, फिर भी अनदेखी
28 वर्षीय सरफ़राज़ ख़ान पिछले पाँच सालों में घरेलू क्रिकेट के सबसे निरंतर प्रदर्शन करने वाले बल्लेबाज़ रहे हैं. उन्होंने अब तक 56 फ़र्स्ट क्लास मैचों में 16 शतक और 15 अर्धशतक लगाए हैं, और 65.19 की औसत से रन बनाए हैं जो किसी भी मानक से बेहतरीन है. मई 2025 में इंग्लैंड लायन्स के ख़िलाफ़ उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में 92 रन की पारी खेली थी, जबकि अक्टूबर 2024 में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ बेंगलुरु टेस्ट में 150 रन बनाकर अपनी टेस्ट क्षमता साबित की थी.
इस सब के बावजूद भी उन्हें न तो ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सिरीज़ में मौका मिला और न ही अब इंडिया ए टीम में स्थान.
फिटनेस पर उठे सवाल, मगर जवाब मैदान में
सरफ़राज़ की फिटनेस को लेकर पहले कई आलोचनाएँ हुईं, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने 17 किलो वज़न घटाया है और अपनी फ़िटनेस पर कड़ी मेहनत की है. हाल ही में खेले गए रणजी मैच में जम्मू-कश्मीर के ख़िलाफ़ उन्होंने 42 और 32 रन बनाकर यह भी दिखा दिया कि वह पूरी तरह फिट हैं.
पूर्व क्रिकेटरों की तीखी प्रतिक्रिया
पूर्व भारतीय बल्लेबाज़ प्रवीण आमरे ने चयनकर्ताओं के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, “घरेलू क्रिकेट में उनके लगातार प्रदर्शन को देखते हुए, सरफ़राज़ को इंडिया ए टीम में जगह मिलनी ही चाहिए थी।” वहीं, पूर्व चयनकर्ता सबा करीम ने चयन प्रक्रिया पर पारदर्शिता की कमी को लेकर चिंता जताई —
“मुझे समझ नहीं आता कि सरफ़राज़ को बाहर क्यों रखा गया. उन्होंने रणजी मैच खेला है, यानी वे फिट हैं. चयनकर्ताओं को इस फैसले पर साफ़ तौर पर बात करनी चाहिए।” करीम का मानना है कि चयनकर्ताओं ने शायद ऑस्ट्रेलिया सिरीज़ को ध्यान में रखते हुए कुछ अन्य खिलाड़ियों को आज़माना चाहा, लेकिन सरफ़राज़ जैसे प्रदर्शनकारी बल्लेबाज़ की अनदेखी उचित नहीं.
चयन प्रक्रिया पर पुराने सवाल फिर उठे
भारतीय क्रिकेट में चयन की पारदर्शिता पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं. जैसे श्रेयस अय्यर और मोहम्मद शमी जैसे खिलाड़ियों को टीम से बाहर रखने के तरीक़े पर भी आलोचना हुई थी.
इस पर प्रवीण आमरे का कहना है — “जब किसी खिलाड़ी को टीम से बाहर किया जाता है, तो उसे साफ़ बताया जाना चाहिए. संवाद और निष्पक्षता की संस्कृति भारतीय क्रिकेट में बेहद ज़रूरी है।”
इसके अलावा प्रवीण आमरे का मानना है कि सरफ़राज़ को निराश नहीं होना चाहिए — “उनके लिए दरवाज़े बंद नहीं हुए हैं. अगर वे रणजी में लगातार रन बनाते रहेंगे, तो भारतीय टीम में वापसी तय है।”
निष्कर्ष
सरफ़राज़ ख़ान का लगातार शानदार प्रदर्शन, फिटनेस में सुधार और घरेलू क्रिकेट में प्रभावशाली रिकॉर्ड उनके चयन के पक्ष में खड़े हैं. इसके बावजूद उन्हें इंडिया ए टीम से बाहर रखा जाना न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी गंभीर सवाल उठाता है — वही मुद्दा, जिसकी ओर रविचंद्रन अश्विन ने भी इशारा किया था.
