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एक नई रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश हुआ है। एक प्रमुख कश्मीरी गैर-सरकारी संगठन, ‘सेव यूथ सेव फ्यूचर फाउंडेशन’ की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कश्मीर में 60% से ज़्यादा अचिह्नित कब्रें विदेशी आतंकवादियों की हैं, न कि स्थानीय नागरिकों की, जैसा कि पाकिस्तान लंबे समय से प्रचार करता रहा है।
इस रिपोर्ट ने पाकिस्तान के उस एजेंडे को बड़ा झटका दिया है, जिसमें वह दुनिया को यह दिखाना चाहता था कि कश्मीर में आतंकी गतिविधियाँ स्थानीय लोगों द्वारा चलाई जा रही हैं।
रिपोर्ट के चौंकाने वाले आंकड़े
‘अनरेवलिंग द ट्रुथ: ए क्रिटिकल स्टडी ऑफ अनमार्क्ड एंड अनआइडेंटिफाइड ग्रेव्स इन कश्मीर वैली’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में विस्तृत जानकारी दी गई है। 2,493 कब्रें विदेशी आतंकवादियों की हैं। 1,208 कब्रें स्थानीय आतंकवादियों की हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि केवल 9 कब्रें (0.2%) ही आम नागरिकों की हैं। यह रिपोर्ट उन दावों को भी खारिज करती है जिनमें कहा गया था कि कश्मीर में नागरिकों की सामूहिक हत्याएं हो रही हैं।

दशकों से पाकिस्तान की कोशिश रही है कि वह कश्मीर मुद्दे को स्थानीय बनाए। इसके लिए उसने हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठन बनाए और हाल ही में लश्कर-ए-तैयबा के लिए द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) जैसे प्रॉक्सी संगठन तैयार किए। इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आलोचना से बचना था। हालांकि, भारतीय एजेंसियां, खासकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), पाकिस्तान के इस झांसे को लगातार बेनकाब करती रही हैं। हाल ही में हुए पहलगाम हमले में भी एनआईए ने साफ किया था कि हमलावर पाकिस्तान से थे और यह हमला पाकिस्तान समर्थित था।
इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों का मानना है कि यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान को बेनकाब करने में मदद करेगी। एनआईए की जांच में भी न सिर्फ यह साबित हुआ है कि आतंकी पाकिस्तानी थे, बल्कि फंडिंग के रास्ते भी मिले हैं, जो सीधे तौर पर पाकिस्तान से जुड़े हैं।
