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गाज़ा पर इज़राइल की लगातार बमबारी में मंगलवार को 50 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी मारे गए। इस बीच क़तर ने इन हमलों को “राज्य प्रायोजित आतंक” बताया है। अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, गाज़ा सिटी में अब भी करीब 13 लाख लोग फंसे हुए हैं।
फ़िलिस्तीनी एजेंसी वफ़ा के मुताबिक़, गाज़ा पोर्ट पर विस्थापित परिवारों के टेंट पर ड्रोन हमले में दो नागरिक मारे गए और कई घायल हुए। इसी दौरान इज़राइली युद्धक विमानों ने अल-मुख़बरात इलाक़े के चार घरों और ज़ीदान बिल्डिंग पर हमला किया। देइर अल-बलाह और तुफ़्फ़ाह इलाक़ों में भी घरों व आम लोगों को निशाना बनाया गया।
अल जज़ीरा की सनद एजेंसी ने पुष्टि की कि देइर अल-बलाह की इब्न तैमियाह मस्जिद पर भी हमला हुआ। धमाके से धुआं उठा लेकिन मस्जिद का मीनार खड़ा रहा।
इज़राइल ने नए पर्चे गिराकर गाज़ा सिटी के लोगों को दक्षिणी इलाक़े अल-मवासी जाने की चेतावनी दी। लेकिन यह तथाकथित “मानवीय क्षेत्र” भी बार-बार बमबारी का शिकार हुआ है।
यूएन की शरणार्थी एजेंसी UNRWA प्रमुख फ़िलिप लज़ारिनी ने कहा, “गाज़ा में कोई सुरक्षित जगह नहीं है। अल-मवासी सिर्फ़ भूखे और निराश लोगों का विशाल कैंप बन चुका है।”
