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गाज़ा, 9 अक्तूबर — गाज़ा में गुरुवार सुबह सुबह युद्धविराम का ऐलान तो कर दिया गया, लेकिन क्या सच में इस पर अमल किया गया ?
गाज़ा की ज़मीन पर ख़ामोशी अब भी लौट नहीं पाई है। इसरायली क़ब्ज़े वाली सेना ने बुधवार रात से गुरुवार सुबह तक गाज़ा पट्टी के कई इलाक़ों में हवाई और ज़मीनी हमले जारी रखे, जिससे पहले से ही तबाह इलाक़े में भय और दर्द की नई लहर फैल गई है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़, इसरायली युद्धक विमानों ने सुबह-सुबह गाज़ा सिटी के अज़-ज़ैतून इलाक़े पर बमबारी की। इसी दौरान, इसरायली गनबोट्स ने अन-नुसैरात शरणार्थी कैंप के तट और समुद्र की ओर गोलियां चलाईं, जबकि टैंकों ने कैंप के उत्तरी हिस्से को निशाना बनाया।
दक्षिणी गाज़ा के ख़ान यूनिस के उत्तर-पश्चिमी हिस्से हमाद सिटी के पूर्व में भी तोपख़ाने से हमले किए गए। इसके अलावा, गाज़ा सिटी के अश-शुजायिया, अत-तुफ़्फ़ाह और अद-दराज़ इलाक़ों में भी लगातार गोलाबारी की गई।
सबसे भयावह मंजर तब सामने आया जब इसरायली सेना ने अस-सबरा मोहल्ले में दो विस्फोटक से भरे बख़्तरबंद वाहनों को विस्फोट से उड़ा दिया, जिससे कई मकान मलबे में बदल गए।
चश्मदीदों और चिकित्सीय सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ घंटों में कई लोगों के हताहत होने की सूचना है। गाज़ा सिटी की अल-जला सड़क पर एक नागरिक को गोली मार दी गई, जबकि कई अन्य लोग पहले हुए हमलों में लगी चोटों से अपनी जान गंवा बैठे।
इसी बीच, गाज़ा की मानवीय स्थिति हर घंटे बिगड़ती जा रही है। लगभग दो मिलियन से ज़्यादा लोग अब भी विस्थापित हैं और गंभीर अकाल, भूख और तबाही के बीच ज़िंदगी की जंग लड़ रहे हैं।
