अरब देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता देने के ब्रिटेन के फैसले का स्वागत किया

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अरब देशों ने ब्रिटेन के उस प्रस्ताव का स्वागत किया है, जिसमें कहा गया है कि अगर इज़राइल गाज़ा में युद्ध खत्म करने और शांति स्थापित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाता, तो ब्रिटेन सितंबर में फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दे सकता है।

कतर ने ब्रिटेन के इस ऐलान को एक “महत्वपूर्ण कदम” बताया और कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप है। कतर ने यह भी कहा कि इससे मध्य पूर्व में न्यायपूर्ण और स्थायी शांति की संभावनाएं बढ़ेंगी।

कुवैत ने भी इसे “महत्वपूर्ण पहल” बताते हुए दो-राज्य समाधान और पूर्वी यरुशलम को राजधानी बनाने वाले स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया।

मिस्र ने ब्रिटेन के रुख को “ऐतिहासिक” बताया और कहा कि इससे 1967 की सीमाओं के अनुसार फिलिस्तीन की स्वतंत्रता के प्रयासों को मजबूती मिलेगी।

सऊदी अरब ने भी इस कदम की सराहना की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की अपील की।

फ्रांस सहित 14 पश्चिमी देशों ने भी बुधवार को एक संयुक्त बयान जारी कर फिलिस्तीन को मान्यता देने और गाज़ा में युद्धविराम की मांग की। इससे पहले स्पेन, आयरलैंड, नॉर्वे और स्लोवेनिया भी फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं।

संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस और सऊदी अरब की अध्यक्षता में आयोजित सम्मेलन में गाज़ा से इज़राइली सेना की वापसी, एकीकृत शासन व्यवस्था, चुनावों और बेहतर प्रशासन की मांग की गई। सम्मेलन में फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनाने की भी अपील की गई।

गौरतलब है कि इज़राइल ने 7 अक्टूबर 2023 से गाज़ा में सैन्य कार्रवाई शुरू की है, जिसमें अब तक 60,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और भारी तबाही हुई है। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने इज़राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री गैलेंट के खिलाफ युद्ध अपराधों में गिरफ्तारी वारंट भी जारी किए हैं।

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