Reading time : 0 minutes
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शुक्रवार को ‘न्यूयॉर्क घोषणापत्र’ नामक एक अहम प्रस्ताव को पारित किया है, जिसमें फ़लस्तीन के प्रश्न के शान्तिपूर्ण निपटान और दो-राष्ट्र समाधान को लागू करने की पुकार लगाई गई है. फ़्राँस और सऊदी अरब द्वारा तैयार किए गए इस प्रस्ताव के पक्ष में, महासभा के कुल 193 सदस्य देशों में से 142 मतदान किया. 10 देशों ने विरोध में वोट डाले, जबकि 12 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
वोटिंग के नतीजे सामने आने के बाद, यूएन महासभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. इस वर्ष जुलाई में यूएन मुख्यालय में अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में ‘न्यूयॉर्क घोषणापत्र’, प्रस्तुत किया गया था. कुछ दिनों बाद यह सम्मेलन फिर से शुरू होगा.
न्यूयॉर्क घोषणापत्र में ग़ाज़ा पट्टी में युद्ध का अन्त करने और इसराइल-फ़लस्तीन टकराव का न्यायोचित, शान्तिपूर्ण समाधान ढूंढने के लिए एक साथ मिलकर प्रयास किए जाने पर सहमति जताई गई है.
इसके लिए, दो-राष्ट्र समाधान को कारगर ढंग से लागू किया जाना होगा ताकि फ़लस्तीनियों, इसराइलियों और मध्य पूर्व क्षेत्र के सभी लोगों के लिए एक बेहतर भविष्य को साकार किया जा सके.
इसराइल के अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका, अर्जेन्टीना, हंगरी, माइक्रोनेशिया, नाउरु, पलाउ, पापुआ न्यू गिनी, पैराग्वे, टोंगा ने इस घोषणापत्र के विरोध में मतदान किया.
भारत, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी, फ़्राँस, रूसी महासंघ, जापान, इटली, ब्राज़ील, दक्षिण अफ़्रीका समेत कुल 142 देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है.
भविष्य के लिए रोडमैप
फ़्राँस के राजदूत जेरोम बोनाफ़ों ने वोटिंग से पहले ध्यान दिलाया कि न्यूयॉर्क घोषणापत्र में दो-राष्ट्र के समाधान को साकार करने के लिए इक़लौता रोडमैप पेश किया गया है.
इसके तहत, ग़ाज़ा में तुरन्त युद्धविराम, सभी बन्धकों की रिहाई, और एक सम्प्रभु फ़लस्तीनी राष्ट्र की स्थापना किए जाने पर बल दिया गया है.
इस रोडमैप में हमास द्वारा हथियार डालने और ग़ाज़ा में शासन व्यवस्था से उसे बाहर रखे जाने की भी बात कही गई है. इसके अलावा, इसराइल और अरब देशों के बाद सम्बन्धों को सामान्य करना होगा और सामूहिक सुरक्षा गारंटी दी जानी होगी.
इसराइली राजदूत डैनी डेनॉन ने मतदान से पहले कहा कि यह एकपक्षीय घोषणापत्र है और इसे शान्ति की दिशा में बढ़ाए गए क़दम के रूप में याद नहीं रखा जाएगा. यह एक और खोखला संकेत है, जोकि इस महासभा की विश्वसनीयता को कमज़ोर करता है.
उन्होंने कहा कि आज इस प्रस्ताव को मिले समर्थन से, हमास को सबसे बड़ी जीत हासिल हुई है, जो इसे 7 अक्टूबर का एक नतीजा बताएगा.
जुलाई में हुए उच्चस्तरीय सम्मेलन को ग़ाज़ा में युद्ध और दो-राष्ट्र समाधान के लिए बिखरती उम्मीदों की पृष्ठभूमि में आयोजित किया गया था.
इस सम्मेलन में, महासचिव गुटेरेश ने अपने सम्बोधन में ध्यान दिलाया कि मध्य पूर्व में शान्ति से जुड़ा मूल प्रश्न, दो-राष्ट्र समाधान को अमल में लाना है. जहाँ दो स्वतंत्र, सम्प्रभु, लोकतांत्रिक देश – इसराइल व फ़लस्तीन – एक दूसरे के साथ शान्ति व सुरक्षा में रह सकें.
