ग़ाज़ा: इसराइली बमबारी, विस्थापन व खाद्य क़िल्लत से जूझते आम नागरिक, अहम सेवाओं पर बोझ

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संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि युद्ध से तबाह हुई ग़ाज़ा पट्टी में आम नागरिकों को निरन्तर हमलों, सामूहिक विस्थापन से जूझना पड़ रहा है, जबकि उनके पास भरपेट भोजन नहीं है. साथ ही, हमलों में हताहतों की बढ़ती संख्या और मानवीय राहत की आपूर्ति न होने की वजह से अति-आवश्यक सामान की क़िल्लत भी है.

क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने बताया कि ग़ाज़ा में इसराइली सेना के तौर-तरीक़ों से आतंक व्याप्त है, स्कूलों और घरों पर भी हमले हुए हैं और लोगों को मजबूरी में घर छोड़कर जाना पड़ा है.

संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी कार्यालय (OCHA) के अनुसार, इस सप्ताह 20 हज़ार से अधिक लोग एक दिन में उत्तर से दक्षिण की ओर जाने के लिए मजबूर हुए हैं. 

ग़ाज़ा में सबसे बड़े इलाक़े, ग़ाज़ा सिटी से अगस्त महीने से अब तक 3.20 लाख विस्थापित हो चुके हैं.

अति-आवश्यक सेवाओं पर दबाव

स्वास्थ्य सेवाओं पर भीषण बोझ है. फ़लस्तीनी मेडिकल राहत सोसाइटी द्वारा संचालित एक क्लीनिक हमले में बर्बाद हो गया है, कर्मचारी घायल हुए हैं. इस क्लीनिक पर घायलों के उपचार, कैंसर व मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ प्रभावित हुई हैं.

वहीं ग़ाज़ा सिटी में अल-शिफ़ा अस्पताल में इसराइली हमलों व बमबारी के कारण हताहतों का तांता लगा हुआ है और बिना पर्याप्त बचाव उपायों के ही लोगों का इलाज किया जा रहा है.

यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य मामलों के लिए यूएन एजेंसी (UNFPA) ने अपने एक अपडेट में बताया कि ग़ाज़ा में अकाल की परिस्थितियाँ बन रही हैं. पाँच लाख से अधिक लोग भूखे हैं और इस वजह से 140 बच्चों समेत 390 मौतों की पुष्टि हो चुकी है.

महिलाओं व लड़कियों पर विशेष रूप से जोखिम है, जिन्हें असुरक्षित हालात में प्रसव से गुज़रना पड़ रहा है. साथ ही, अति-आवश्यक सेवाओं के अभाव में लिंग-आधारित हिंसा के मामले भी बढ़ रहे हैं.

इसके मद्देनज़र, यूएन एजेंसी ने मातृत्व और संरक्षण कार्यक्रमों को जारी रखने के लिए तत्काल निवेश की पुकार लगाई है.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) ने अपने एक ट्वीट सन्देश में क्षोभ जताया कि ग़ाज़ा में एक बार फिर भीषण बमबारी हुई है, जिसमें बड़ी संख्या में बच्चों के मारे जाने और घायल होने की ख़बर है.

ग़ाज़ा जा रही नौका पर हमला

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय प्रवक्ता थमीन अल-खितान ने बुधवार को जारी अपने वक्तव्य में कहा कि ग़ाज़ा में नौका के ज़रिए मानवीय सहायता पहुँचाने की कोशिश कर रहे कार्यकर्ताओं पर हमले व धमकियाँ, विश्वास से परे हैं.

बताया गया है कि ग़ाज़ा की इसराइली घेराबन्दी का विरोध कर रहे एक समूह के क़ाफ़िले पर ड्रोन हमले की ख़बर है. इसराइली सरकार ने इस समूह की कड़ी निन्दा की है.

समाचार माध्यमों के अनुसार, इस नौका में संचार उपकरणों को जाम कर दिया गया और उसमें धमाकों की भी आवाज़ सुनाई दी.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने इन हमलों की, ड्रोन विमान के ज़रिए उत्पीड़न की स्वतंत्र, निष्पक्ष जाँच कराए जाने की अपील करते हुए दोहराया है कि ऐसे हमलों को रोका जाना हो और उनकी जवाबदेही तय की जानी होगी.

उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने इसराइल से आग्रह किया है कि ग़ाज़ा की घेराबन्दी को तुरन्त हटाना होगा और जीवनरक्षक सहायता को जल्द से जल्द पहुँचाना होगा.

Source: UN News Hindi

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