Reading time : 0 minutes
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने चेतावनी जारी की है कि यदि ग़ाज़ा में प्रवेश के लिए सभी सीमा चौकियों को नहीं खोला गया, हर ज़रूरतमन्द फ़लस्तीनी तक खाद्य सहायता पहुँचा पाना सम्भव नहीं होगा. विशेष रूप से उत्तरी इलाक़े में जहाँ इस वर्ष अगस्त महीने में अकाल की घोषणा की गई थी.
यूएन एजेंसी ने अगले तीन महीनों के लिए पूरी आबादी तक पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामान की व्यवस्था होने की बात कही है, मगर इसके लिए इसराइली प्रशासन द्वारा पूर्ण स्तर पर राहत अभियान के लिए अनुमति ज़रूरी है.
ग़ाज़ा में नाज़ुक परिस्थितियों में युद्धविराम फ़िलहाल लागू हैं, और हर दिन WFP द्वारा औसतन 560 टन खाद्य सामग्री रवाना की जा रही है.
मध्य पूर्व, उत्तर अफ़्रीका और पूर्वी योरोप के लिए WFP प्रवक्ता अबीर ऐतेफ़ा ने बताया कि युद्धविराम समझौते के बाद अवसर उपजे हैं और यूएन एजेंसी जल्द से जल्द परिवारों तक खाद्य सहायता पहुँचाने में जुटी है. स्थानीय आबादी ने पिछले कई महीनों से नाकेबन्दी, विस्थापन और भूख को झेला है.
उन्होंने जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि सभी सहायता टीमों और आपूर्ति नैटवर्क को पूर्ण रूप से लामबन्द कर दिया गया है.
पूरे ग़ाज़ा में अब पाँच खाद्य वितरण केन्द्र सक्रिय हैं, जिनमें महिलाओं और बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है.
“हमारा लक्ष्य ग़ाज़ा के सभी हिस्सों में इनका विस्तार करके 145 वितरण केन्द्र स्थापित करने का है. इसी स्तर के हिसाब से हम काम कर रहे हैं.”
सहायता मार्ग की अपील
मानवीय सहायता संगठनों ने ज़ोर देकर कहा है कि हर ज़रूरतमन्द तक राहत पहुँचाने के लिए अनेक सीमा चौकियों को खोले जाने और निरन्तर सहायता मार्ग उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है.
मगर, फ़िलहाल केवल दो सीमा चौकियाँ ही खुली हैं और उत्तरी ग़ाज़ा में स्थित चौकियाँ अब भी बन्द हैं, जिससे सर्वाधिक प्रभावित इलाक़ों में मदद पहुँचाना कठिन है.
WFP प्रवक्ता अबीर ऐतेफ़ा के अनुसार, “सड़के अवरुद्ध व बर्बाद हो चुकी हैं. यह परिवहन में एक बड़ी समस्या है.”
सुलभता और सुरक्षा चुनौतियों की वजह से, ग़ाज़ा सिटी में खाद्य सामग्री को वितरित कर पाना सम्भव नहीं हो पाया है. हालांकि बच्चों, गर्भवती व स्तनपान करा रही महिलाओं के लिए पोषण सामान की आपूर्ति की गई है.
मानवीय सहायता में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) के प्रवक्ता येन्स लार्क ने बताया कि उत्तरी ग़ाज़ा में स्थित सीमा चौकियाँ अभी बन्द हैं, चूँकि इसराइली प्रशासन ने अभी उन्हें नहीं खोला है.
सड़कों को मरम्मत की ज़रूरत है और साथ ही बिना फटे हुए विस्फोटकों को भी वहाँ से हटाना ज़रूरी है, ताकि इन मार्गों को आवाजाही के लिए सुरक्षित बनाया जा सके.
16 अक्टूबर को ग़ाज़ा में 950 ट्रकों ने प्रवेश किया था, जिनमें से आठ में ईंधन और तीन ट्रकों में गैस लदी हुई थी. इनमें से एक-तिहाई ट्रकों ने यूएन की समन्वय व्यवस्था से होकर सहायता पहुँचाई है.
सहायता का संकल्प
आपात राहत मामलों के लिए यूएन कार्यालय के प्रमुख टॉम फ़्लैचर ने शुक्रवार को सहायता अभियान का जायज़ा लिया. उन्होंने बताया कि मानवतावादी टीम 60 दिनों की योजना के नज़रिए से जीवनरक्षक प्रयासों को आगे बढ़ा रही है.
अवर महासचिव फ़्लैचर ने कहा कि आगामी दिनों में विशाल चुनौतियों का सामना करना होगा, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के प्रयासों से शान्ति योजना पर सहमति हुई और मानवीय सहायता पहुँचाने की सम्भावना उपजी हैं.

मानवतावादी कार्यालय प्रमुख ने ग़ाज़ा में डेयर अल बलाह इलाक़े में स्थित एक बेकरी का दौरा किया. यह उन 9 बेकरी में है, जिसे विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा समर्थन प्रदान किया गया है.
यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक के अनुसार, युद्धविराम का अर्थ है कि इस बेकरी को ईंधन व आटा मुहैया कराया जा सकता है, जिससे हर दिन तीन लाख ब्रैड तैयार की जा सकेंगी.
पुनर्बहाली में महिलाओं का ध्यान रखना होगा
महिला सशक्तिकरण के लिए यूएन संस्था (UN Women) में मानवतावादी मामलों की प्रमुख सोफ़िया कॉलटॉर्प ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है कि ग़ाज़ा में नाज़ुक युद्धविराम को महिलाओं व लड़कियों की अगुवाई में फिर से उबरने के प्रयासों में तब्दील करना होगा.
उन्होंने बताया कि युद्धविराम शुरू होने के बाद बड़ी संख्या में महिलाओं व लड़कियों की आवाज़ को सुना गया है, जिन्होंने आशा, हताशा, थकान और हिम्मत की झलक मिलती है.
यूएन एजेंसी की वरिष्ठ अधिकारी के अनुसा, पिछले कई महीनों में यह पहली बार है, जब कुछ महिलाएँ देखभाल हासिल कर सकती हैं, मदद पा सकती हैं और बिना बमबारी, धमाकों के बिना सो सकती हैं.
“मगर, आशा अपने आप में पर्याप्त नहीं है.”
इसके मद्देनज़र, सोफ़िया कॉलटॉर्प ने कहा कि 10 लाख से अधिक महिलाओं व लड़कियों को खाद्य सहायता व क़रीब ढाई लाख को तत्काल पोषण समर्थन की आवश्यकता है. हाल ही में लागू हुआ युद्धविराम एक अवसर है, मौजूदा कमियों को तुरन्त पूरा करने का, अकाल को रोकने का और जहाँ इसकी आशंका है, वहाँ रोकथाम करने का.
Source: UN News Hindi
