भारत में महिला प्रतिनिधित्व

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। वर्तमान में भारत की आबादी 140 करोड़ से अधिक हो गई है। आजादी के बाद से ही भारत में महिलाओं को मताधिकार हासिल है, मगर फिर भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व भारतीय राजनीति में अभी भी कम है।

By Faizan Aalam

दुनिया की आबादी आज तकरीबन 8 अरब के क़रीब है। महिलाएं दुनिया की आबादी का लगभग आधा हैं। मगर फिर भी महिलाओं पर अत्याचार की खबरें आती रहती हैँ। तो क्या महिलाओं को पुरुषों की तरह अधिकार नहीं दिये गये हैं। आइये इसी के बारे में जानते हैं।

दुनिया में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही लोकतांत्रिक राष्ट्रों का जन्म हुआ है। और इन राष्ट्रों के जन्म के बाद ही नागरिकों के अधिकारों की बात की गई है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जो सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है वह है मत का अधिकार।

आज लगभग संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देशों के नागरिको कों वोट देने का अधिकार हासिल है फिर चाहे वह पुरुष हो या स्त्री। मगर पहले स्त्रियों की दशा ऐसी नहीं थी यानि स्त्रियों को अधिकार नहीं दिये गये थे.

सबसे पहले 1893 में न्यूजीलैंड ने अपने यहां कि महिलाओं को मत देने का अधिकार दिया. बाद में अन्य देशों जैसे अमेरिका में 1920 में, 1928 में यूनाइटेड किंगडम ने, फ्रांस मे 1946 में और भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान ही 1919 और 1929 के बीच, सभी ब्रिटिश प्रांतों के साथ-साथ अधिकांश रियासतों ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया. कुछ मामलों में उन्हें स्थानीय चुनावों में खड़े होने की इजाजत दी।

जबकि पूर्ण रुप से 1951-52 में हुए पहले भारतीय आम चुनाव के बाद से, 21 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी वयस्क नागरिकों के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत सार्वभौमिक मताधिकार प्रदान किया गया। जबकि भारत में 28 मार्च 1989 से प्रभावी 61वें संशोधन द्वारा न्यूनतम मतदान आयु को घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया था।

अभी हाल की बात करें तो ब्रिटेन में संपन्न आम चुनावों में, हाउस ऑफ कॉमन्स में रिकॉर्ड 263 महिला सांसद, यानी हाउस ऑफ कॉमन्स का 40% महिला सांसद चुनी गई हैं। दक्षिण अफ्रीकी नेशनल असेंबली में लगभग 45% महिला प्रतिनिधित्व है, जबकि अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में 29% है।  जर्मनी में 35%, स्वीडन में 46%, ऑस्ट्रेलिया में 38%, फ्रांस में 38%, बांग्लादेश में 20%, पाकिस्तान में 16% है। यह आंकड़े पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के सितंबर 2023 के आंकड़ों से उद्धृत हैं।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। वर्तमान में भारत की आबादी 140 करोड़ से अधिक हो गई है। आजादी के बाद से ही भारत में महिलाओं को मताधिकार हासिल है, मगर फिर भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व भारतीय राजनीति में अभी भी कम है।

2004 तक भारतीय संसद के निचले सदन अर्थात लोकसभा में महिला सांसदों का प्रतिशत 5% से 10% के बीच था। जबकि 2014 में यह थोड़ा बढ़कर 12% पर पहुंच गया.

वर्तमान में 18वीं लोकसभा में यह 14% है। जबकि वर्तमान में 18 वीं लोकसभा में महिला सांसदो की संख्या 74 है।

भारत में इस बार 2024 में सम्पन्न हुए चुनाव में 968 मिलियन से अधिक मतदाता थे, जिनमें से 642 मिलियन पंजीकृत मतदाता थे। इस बार के संपन्न हुए चुनाव में 312 मिलियन महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाई। 

जबकि  इस बार कुल मिलाकर 65.79% मतदान हुआ, जो पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव से 1.61% कम है। इस चुनाव में पुरुष मतदाताओं ने 65.80% और महिला मतदाताओं ने 65.78% मतदान किया।

2019 चुनाव में 61.5 करोड़ लोगों ने वोट डाले थे। जबकि इस बार मतदाताओं की संख्या बढ़कर 64.2 करोड़ हो गई। यह अपने आप में विश्व रिकॉर्ड है।

यह सभी G7-अर्थात् अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और कनाडा के मतदाताओं का 1.5 गुना और EU के 27 देशों के मतदाताओं का 2.5 गुना है।

वर्तमान 18 वीं लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में महिला सांसदों का अनुपात सबसे अधिक 38% है। जबकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस(आईएनसी) में लगभग 13% महिला सांसद हैं। तमिलनाडु की एक राज्य स्तरीय पार्टी नाम तमिलर काची पिछले तीन आम चुनावों में महिला उम्मीदवारों के लिए 50% के स्वैच्छिक कोटे का पालन कर रही है।

भारत में महिलाएं अहम राजनीतिक पदों पर भी रही हैं जैसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार इत्यादि । जबकि 16 महिलाएं राज्य सरकारों का नेतृत्व भी कर चुकी हैं। जिनके नाम इस प्रकार हैं- सुचेता कृपलानी तथा मायावती(उत्तर प्रदेश), शशिकला काकोदकर(गोवा), नंदिनी सत्पथी(ओडिशा), अनवरा तैमूर(असम), जे जयललिता तथा वी एन जानकी(तमिलनाडू), राजिंदर कौर भट्टल(पंजाब), राबड़ी देवी(बिहार), शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज(एनसीटी दिल्ली), वसुंधरा राजे(राजस्थान), उमा भारती(मध्य प्रदेश), महबूबा मुफ्ती(जम्मू-कश्मीर), आनंदीबेन पटेल(गुजरात) तथा ममता बनर्जी(पश्चिम बंगाल)। इन महिला मुख्यमंत्रियों में ममता बनर्जी एकमात्र महिला मुख्यमंत्री हैं जो वर्तमान में भी अपने पद पर आसीन हैं।

भारत में महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के प्रयास पहले भी होते रहे हैं जैसे 1992-1993 में संविधान के 73वें और 74वें संशोधन में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान किया गया था। इसके अलावा बीते साल संसद ने सितंबर 2023 में 106वें संविधान संशोधन के जरिये लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण प्रदान किया है।

यह आरक्षण इस अधिनियम के लागू होने के बाद की गई पहली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित होने के बाद परिसीमन अभ्यास के आधार पर लागू होगा। इससे राष्ट्रीय स्तर महिलाओं की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है।

Picture graphic by Megha Bajaj and Aayushi Rana.

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