सीबीएसई ने उर्दू माध्यम को हटाया, हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सिर्फ अंग्रेजी और हिंदी में प्रश्नपत्र देने का फैसला किया है, जिससे उर्दू माध्यम के हजारों छात्रों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है। बोर्ड के इस फैसले से मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (एमएएनयूयू) सहित भारत के उर्दू स्कूल सीधे प्रभावित हो रहे है।

द टेलीग्राफ के अनुसार, सीबीएसई ने कक्षा 10 और 12 के प्रश्नपत्र केवल अंग्रेजी और हिंदी में देने का आदेश दिया है। अगर कोई छात्र इन भाषाओं के अलावा दूसरी भाषा में उत्तर लिखता है, तो उसका परिणाम बिना अंक के घोषित किया जाएगा।

बोर्ड के इस फरमान के बाद ये स्थिति उन छात्रों के लिए चिंताजनक है जो हिंदी या अंग्रेजी में अच्छे नहीं हैं। हालांकि सीबीएसई ने 2010 में स्थापित एमएएनयूयू स्कूलों को 2020 तक तीन भाषाओं में प्रश्नपत्र मिलने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन 2021 से, सीबीएसई ने अचानक उर्दू में प्रश्न पत्र देना बंद कर दिया।

एक अधिकारी ने कहा कि छात्रों को अब हिंदी या अंग्रेजी में प्रश्नपत्र समझने में परेशानी हो रही है। इस बदलाव के कारण कई छात्र अपनी परीक्षा में अच्छे अंक लाने को लेकर चिंतित हैं। इस निर्णय से दिल्ली में 12 सीबीएसई पैटर्न वाले उर्दू माध्यम स्कूलों के हजारों छात्रों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

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