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ईरान और इज़राइल के बीच 12 दिनों तक चले घातक संघर्ष को विराम देने वाला युद्धविराम एक माह से प्रभावी है, लेकिन देश की आबोहवा में शांति के स्थान पर असमंजस, बेचैनी और संभावित युद्ध की आशंका मंडरा रही है। नागरिकों में भय व्याप्त है कि यह विराम क्षणिक है और क्षेत्र में किसी भी समय तनाव दोबारा भड़क सकता है।
ईरान के ऐतिहासिक शहर शिराज में रहने वाले 57 वर्षीय पेमन कहते हैं, “मुझे नहीं लगता कि यह युद्धविराम ज्यादा दिन टिकेगा।” शिराज उन प्रमुख शहरों में शामिल था जिन्हें इज़राइल ने अपने अभूतपूर्व हवाई हमलों में निशाना बनाया था।
इन हमलों में ईरान के संवेदनशील परमाणु प्रतिष्ठान, सैन्य ठिकाने, रिहायशी इलाके और सरकारी भवन प्रभावित हुए। इसमें कई उच्च सैन्य अधिकारी, परमाणु वैज्ञानिक और सैकड़ों नागरिक मारे गए, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में दशकों से चला आ रहा तनाव अपने चरम पर पहुँच गया।
युद्धविराम की घोषणा 24 जून को हुई, लेकिन इज़राइल ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि यदि ईरान ने परमाणु कार्यक्रम को पुनः आरंभ करने की कोशिश की, तो वह दोबारा सैन्य कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा। वहीं, तेहरान बार-बार इन आरोपों को खारिज करते हुए दोहराता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।
54 वर्षीय सरकारी कर्मचारी हामिद कहते हैं, “मुझे डर है कि युद्ध फिर से शुरू हो जाएगा। इससे और अधिक निर्दोषों की मौत होगी और हमारे देश की संरचना पूरी तरह बिखर जाएगी।”
युद्ध के दौरान ईरान के प्रमुख शहरों — तेहरान, शिराज, इस्फहान — पर घातक हमले हुए। ईरानी अधिकारियों के अनुसार, इस संघर्ष में 1,000 से अधिक नागरिक मारे गए, जबकि इज़राइल ने 29 हताहतों की पुष्टि की।
करमानशाह की 78 वर्षीय गृहिणी गोलांदम बाबेई, जिन्होंने 1980 के ईरान-इराक युद्ध की भयावहता को झेला है, कहती हैं, “यह युद्ध मेरे लिए 1980 के दशक की त्रासदी की पुनरावृत्ति जैसा था।”
62 वर्षीय युद्ध के अनुभवी अली खानज़ादी, जो 1983 में घायल हुए थे, बताते हैं कि आधुनिक युद्ध कहीं अधिक घातक है। “अब लड़ाई ड्रोन से लड़ी जाती है। कोई भी बच्चा अपनी नींद में मारा जा सकता है — यह अतीत की तुलना में कहीं अधिक भयावह है।”
ईरानी सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई ने हमलों को देश की धार्मिक एवं राजनीतिक व्यवस्था को अस्थिर करने का प्रयास बताया है। उन्होंने राष्ट्रीय एकता की अपील करते हुए अधिकारियों को “सतर्कता और सटीकता” के साथ आगे बढ़ने को कहा है।
तेहरान ने अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता फिर से शुरू करने की इच्छा जताई है, लेकिन यह प्रक्रिया फिलहाल ठप है। ईरान ने अमेरिका से वार्ता बहाली हेतु “गंभीर गारंटी” की मांग की है।
