गाज़ा से रिहा कैदियों की चीख: “कैद ख़त्म हुई उसी ज़ुल्म के साथ जिससे शुरू हुई थी”

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इज़राइली जेलों से रिहा हुए फ़िलिस्तीनी कैदियों ने अमानवीय यातना, भूख और अपमान के भयावह अनुभव साझा किए हैं। गाज़ा के 33 वर्षीय सरकारी कर्मचारी नसीम अल-रदी 22 महीने बाद रिहा हुए, पर अपनी नज़र और परिवार दोनों खो चुके हैं।

अल-रदी बताते हैं कि रिहाई से पहले जेल गार्डों ने उन्हें “विदाई” के नाम पर ज़मीन पर गिराकर बेरहमी से पीटा, जिससे उनकी एक आंख की रोशनी चली गई। उन्हें 9 दिसंबर 2023 को बेइत लाहिया से गिरफ़्तार किया गया था और 100 दिन उन्होंने भूमिगत सेल में गुज़ारे। उन पर कभी कोई आरोप नहीं लगाया गया।

उन्होंने बताया कि कैदियों को रोज़ाना संगठित तरीक़े से पीटा जाता था। भीड़भाड़ वाली कोठरियों में 14 कैदी ठूँस दिए जाते, जहाँ गंदगी और बीमारी आम थी। एक अन्य रिहा कैदी मोहम्मद अल-असालिया ने बताया कि “द डिस्को” नामक सेक्शन में दो दिन तक तेज़ संगीत और ठंडे पानी से मानसिक यातना दी जाती थी।

दोनों ने भूख से अपना वज़न लगभग आधा खो दिया। नासिर अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक़, कई रिहा कैदी गंभीर चोटों और कुपोषण के साथ पहुँचे।

मानवाधिकार संगठन PCATI का कहना है कि लगभग 2,800 गाज़ावासी कैदी बिना आरोप के क़ैद हैं। इज़राइली क़ानून में संशोधन ने उन्हें अनिश्चित काल तक बंद रखने की अनुमति दे दी है। अल-रदी की रिहाई उनकी बेटी सबा के जन्मदिन पर हुई — लेकिन वह अब जीवित नहीं।

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