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संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी कार्यालय ने इसराइल और हमास से युद्धविराम समझौते का सम्मान करने का आग्रह किया है, जिसके तहत मृत बन्धकों के शवों को सौंपने और ग़ाज़ा में बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता पहुँचाने पर सहमति हुई है.
आपात राहत मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र अवर महासचिव टॉम फ़्लैचर ने आगाह किया कि इन शर्तों को मोलभाव के औज़ार में तब्दील होने से रोकना होगा.
इस बीच, ग़ाज़ा में अवैध ढंग से लोगों को जान से मारने और न्यायेतर हत्याएँ किए जाने की ख़बरें भी मिल रही हैं.
यूएन अवर महासचिव फ़्लैचर ने बुधवार को अपने एक वक्तव्य में कहा कि दो दिन पहले ही मिस्र के शर्म अल-शेख़ में विश्व नेता एकत्र हुए थे, जहाँ संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में शान्ति पहल का समर्थन किया गया.
उन्होंने इसे एक महान लेकिन नाज़ुक उम्मीदों से भरा क्षण क़रार दिया.
“इस प्रगति के प्रति आम लोगों के रुख़ से यह स्पष्ट है कि फ़लस्तीनी, इसराइली और क्षेत्र के अन्य लोग इस शान्ति को क़ायम होते देखना चाहते हैं.”
“इसलिए, हमें इस समझौते को पूर्ण रूप से लागू करने में विफलता हाथ नहीं लगने देनी होगी.”
अवर महासचिव ने कहा कि महीनों की हताशा और नाकेबन्दी के बाद मानवीय सहायता आपूर्ति का स्तर अन्तत: बढ़ने लगा था और ज़रूरतमन्दों तक भोजन, दवा, ईंधन, जल खाना पकाने के लिए गैस और टैंट पहुँचाए जा रहे थे.
उम्मीदों के लिए झटका
मगर, उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि जिस तरह से झटके लग रहे हैं उससे इस नाज़ुक प्रगति पर जोखिम है.
टॉम फ़्लैचर ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प, यूएन महासचिव और अन्य नेताओं ने जिस प्रगति को सुनिश्चित किया था, उसके लिए अब हमारी यह परीक्षा है कि वो अब न रुकने पाए.
आपात राहत मामलों के प्रमुख ने हमास से सभी मृत बन्धकों के शवों को लौटाने के लिए पुरज़ोर कोशिश करने की अपील की है, जल्द से जल्द. साथ ही, ग़ाज़ा में आम नागरिकों के विरुद्ध हिंसा के साक्ष्यों पर चिन्ता व्यक्त की है.
उन्होंने इसराइल से भी आग्रह किया कि मानवीय सहायता में विशाल बढ़ोत्तरी की अनुमति दी जानी होगी, और एक सप्ताह में हज़ारों ट्रकों को प्रवेश देना होगा, जिन पर इतनी बड़ी संख्या में जीवन निर्भर हैं.
इसके लिए, यह ज़रूरी है कि अतिरिक्त सीमा चौकियों को खोला जाए और परिचालन सम्बन्धी अवरोधों को दूर किया जाना होगा, ताकि राहत सामग्री को आसानी से प्रवेश मिल सके.
अवर महासचिव टॉम फ़्लैचर ने कहा कि सहायता को सुनिश्चित किया जाना एक क़ानूनी दायित्व है, और हम सहायता वितरण में किसी प्रकार का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेंगे.
ग़ाज़ा में न्यायेतर हत्याएँ
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने ग़ाज़ा में मानवाधिकार उल्लंघन के नए आरोपों पर चिन्ता ज़ाहिर की है, जिनमें बिना सुनवाई के ही लोगों को जान से मार दिया जा रहा है.
बताया गया है कि 10 अक्टूबर के बाद से हमास से सम्बन्ध रखने वाले गुटों और उनके विरोधी धड़ों में हथियारबन्द झड़पों में तेज़ी आई है.
13 अक्टूबर को, ग़ाज़ा में आन्तरिक मामलों के मंत्रालय से कथित तौर पर जुड़ी हुई एक इकाई ने एक वीडियो फ़ुटेज जारी की, जिसमें आठ लोगों की सार्वजनिक रूप से हत्या कर दी गई.
उनकी आँखों पर पट्टी बँधी हुई थी और हाथ भी बाँधे गए थे. उन पर ग़ाज़ा सिटी में एक पारिवारिक मिलिशिया का सदस्य होने का आरोप लगाया गया.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने कहा है कि इन कृत्यों को युद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा जा सकता है. साथ ही, हमास को ध्यान दिलाया है कि अधिकार उल्लंघन के सभी मामलों की रोकथाम की जानी होगी.
उधर, इसराइली सैन्य बलों द्वारा पूर्वी ग़ाज़ा सिटी में अपने घर लौट रहे फ़लस्तीनियों पर गोलियाँ चलाए जाने की भी ख़बर है. 14 अक्टूबर को हुई इस घटना में कम से कम तीन लोगों की जान गई है. इससे पहले, 10 अक्टूबर को हुई ऐसी ही एक घटना में 15 फ़लस्तीनी मारे गए थे.
Source: UN News Hindi
