नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधिकरण ने जमात-ए-इस्लामी (जेईआई), जम्मू और कश्मीर पर लगाए गए प्रतिबंध को सही बताया है। न्यायाधिकरण ने कहा कि यह संगठन देश की सुरक्षा के लिए खतरा है।
हाल ही में जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनावों में कुछ जेईआई के सदस्यों ने हिस्सा लिया, जिससे ये कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार प्रतिबंध हटा सकती है।
गृह मंत्रालय ने जेईआई को गैरकानूनी घोषित करते हुए इसके खिलाफ 47 मामलों की जानकारी दी है। इनमें से कुछ मामलों में धन जुटाने और हिंसक गतिविधियों का आरोप है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि जेईआई ने आतंकवादी समूहों के साथ मिलकर हिंसक प्रदर्शन किए और समाज में अशांति फैलाई।
एक मामले में, अल-हुदा एजुकेशनल ट्रस्ट के प्रमुख अमीर मोहम्मद शम्सी पर आरोप है कि उन्होंने प्रतिबंध के बावजूद धन इकट्ठा किया।
जेईआई के सदस्य असद उल्लाह मीर ने न्यायाधिकरण में कहा कि उनका संगठन एक सामाजिक-धार्मिक समूह है जो शांतिपूर्ण तरीके से काम करता है। उन्होंने बताया कि संगठन का संविधान हिंसा का समर्थन नहीं करता है।
मीर ने यह भी कहा कि जेईआई 1953 से सभी लोगों के लिए खुला है और हमेशा चुनावों में भाग लेता रहा है।
हालांकि, न्यायालय ने कहा कि जेईआई को गैरकानूनी संगठन मानने के लिए पर्याप्त कारण हैं और इस प्रतिबंध को सही ठहराया है।