ग़ाज़ा-इसराइल टकराव के दो वर्ष: ‘आम लोगों की पीड़ा को बयाँ नहीं किया जा सकता है’

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हमास व अन्य हथियारबन्द गुटों द्वारा इसराइल पर किए गए आतंकी हमलों के बाद, ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य बलों की कार्रवाई अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रही है. संयुक्त राष्ट्र ने इस दुखद पड़ाव पर सभी बन्धकों को रिहा किए जाने, तुरन्त युद्धविराम पर सहमति बनाने और फ़लस्तीनी आबादी की पीड़ा को रोकने के लिए मानवीय सहायता सुनिश्चित किए जाने पर बल दिया है.

इसराइल में हुए हमलों को दो वर्ष पूरे होने के बीच, मिस्र के शर्म अल-शेख़ में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा सुझाई गई शान्ति योजना पर बातचीत हो रही है.

मानवीय सहायता मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) के प्रमुख टॉम फ़्लैचर ने इन हमलों को भयावह क़रार देते हुए कहा कि इस पीड़ा को बयाँ नहीं किया जा सकता है.

“मैं सभी बन्धकों की बिना शर्त, तुरन्त रिहाई की अपनी अपील फिर से दोहराता हूँ, और तब तक, उनके साथ मानवीय ढंग से बर्ताव किया जाना होगा…हर स्थान पर आम लोगों की रक्षा करनी होगी.”

अवर महासचिव टॉम फ़्लैचर ने ध्यान दिलाया कि 7 अक्टूबर 2023 के बाद से अब तक, हज़ारों फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं और लाखों लोग भुखमरी और विस्थापन का दंश झेल रहे हैं.

जवाबदेही की मांग

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म, X, पर अपने सन्देश में क्षोभ जताया कि ग़ाज़ा के लोगों ने दो वर्षों से विध्वंस, विस्थापन, बमबारी, भय, मौत व भूख को झेला है.

उन्होंने सभी बन्धकों और फ़लस्तीनी बन्दियों की रिहाई, जल्द से जल्द युद्धविराम और ज़रूरतमन्दों तक विशाल स्तर पर मानवीय सहायता आपूर्ति की पुकार लगाई है.

साथ ही, महाआयुक्त लज़ारिनी ने उन अत्याचारों के लिए जवाबदेही तय किए जाने की मांग की है, जिन्हें 7 अक्टूबर 2023 को अंजाम दिया गया था. उनके अनुसार, इस रसातल व अफ़रा-तफ़री से बाहर निकलने का कोई अन्य रास्ता नहीं है.

हमास व अन्य हथियारबन्द गुटों के इन हमलों में 1,250 इसराइली व विदेशी नागरिक मारे गए थे और 250  से अधिक को बन्धक बना लिया गया था. 

बच्चे चुका रहे हैं बड़ी क़ीमत

ग़ाज़ा में स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन के अनुसार, इसके बाद शुरू हुए युद्ध में अब तक 66 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनियों की जान गई है.

हिंसा और हवाई हमलों के बीच, यूएन मानवतावादी व स्वास्थ्य अधिकारियों ने आगाह किया है कि बच्चे इस हिंसक टकराव का सबसे अधिक ख़ामियाज़ा भुगत रहे हैं. हज़ारों मारे जा चुके हैं, बड़ी संख्या में बच्चे अनाथ, अपंग, विस्थापित हैं, कुपोषण का शिकार हैं जबकि ग़ाज़ा की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा चुकी है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने बताया है कि ग़ाज़ा में इसराइल द्वारा आवश्यकता से अधिक बल प्रयोग करने से बच्चे पीड़ा और सदमे को झेल रहे हैं. हर 17 मिनट में एक बच्चा हताहत हुआ है.

उन्हें बीमारियों से जूझना पड़ रहा है, हर पाँच में से एक बच्चा समय से पहले पैदा हो रहा है, और भूख व दबाव के कारण गर्भवती महिलाएँ भी कमज़ोर हैं.

अमेरिकी शान्ति योजना

संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने ग़ाज़ा में शान्ति के लिए एक योजना पेश की है, जिस पर मिस्र में इसराइल और हमास के प्रतिनिधियों के बीच अप्रत्यक्ष रूप से वार्ता जारी है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को अपने वक्तव्य में इस प्रस्ताव को एक ऐसा अवसर क़रार दिया, जिसके ज़रिए इस त्रासदीपूर्ण हिंसक टकराव का अन्त किया जा सकता है.

“इस अवसर को अब खोने नहीं देना होगा. दो वर्षों की पीड़ा के बाद, हमें उम्मीद को चुनना होगा. अभी.”

हमास ने अमेरिकी योजना के कुछ हिस्सों को स्वीकार करने के लिए हामी भरी है, जिसमें सभी बन्धकों की रिहाई भी है. लेकिन पूर्ण रूप से हथियार डालने और युद्ध के बाद हमास की भूमिका पर सवाल बरक़रार हैं.

बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सचेत किया है कि ग़ाज़ा में स्थित 36 अस्पतालों में से केवल 14 में ही आंशिक रूप से कामकाज हो पा रहा है. उत्तरी ग़ाज़ा में किसी भी अस्पताल में सेवाएँ उपलब्ध नहीं है. 62 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आंशिक रूप से काम कर रहे हैं, जबकि युद्ध से पहले यह संख्या 176 थी.

जनवरी 2025 के बाद से अब तक, कुपोषण सम्बन्धी कारणों से 400 मौतें हो चुकी हैं, जिनमें 101 बच्चे हैं. इनमें 80 बच्चों की आयु पाँच वर्ष से कम थी.

पिछले दो महीनों में 10 हज़ार से अधिक बच्चों में कुपोषण की पुष्टि हुई है और 2,400 से अधिक गम्भीर कुपोषण का शिकार बच्चों के सामने भुखमरी का जोखिम है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, पीड़ितों का आँकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका है, चूँकि भीड़भाड़ भरे आश्रय स्थलों पर रहने वाले अनेक परिवार क्लीनिक या अस्पताल पहुँचने में समर्थ नहीं हैं.

मौजूदा हालात में, ज़रूरतमन्द आबादी तक मानवीय सहायता पहुँचाने में देरी हो रही है, उसके रास्ते में अवरोध हैं या फिर इसकी अनुमति देने से मना किया जा रहा है.

Source: UN News Hindi

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