ग़ाज़ा: बन्धकों की रिहाई का स्वागत, मानवीय सहायता प्रयासों में तेज़ी

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संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को ग़ाज़ा से सभी जीवित बन्धकों की रिहाई का स्वागत किया है. इस बीच, यूएन मानवीय राहत एजेंसियों के अनुसार, पिछले दो वर्ष से जारी हिंसक टकराव से तबाह हो चुके ग़ाज़ा में अब जीवनरक्षक सहायता आपूर्ति बड़े स्तर पर पहुँचाई जा रही है.

7 अक्टूबर 2023 को इसराइल पर हमास व अन्य हथियारबन्द गुटों के आतंकी हमलों में 1,250 लोगों की जान गई थी और लगभग 250 को बन्धक बना लिया गया था.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने सोमवार को जारी अपने वक्तव्य में बन्धकों की रिहाई पर राहत व्यक्त करते हुए कहा कि वो अब आज़ाद हैं और अपार पीड़ा को झेलने के बाद जल्द ही अपने परिवार के साथ होंगे.

उन्होंने मृतक बन्धकों के अवशेष भी उनके परिवार को सौंपे जाने की अपील दोहराई है.

महासचिव गुटेरेश विश्व नेताओं के साथ ग़ाज़ा शान्ति शिखर बैठक में हिस्सा लेने के लिए मिस्र के शर्म अल-शेख़ पहुँच रहे हैं. मिस्र, तुर्कीये, क़तर, अमेरिकी प्रतिनिधियों की मध्यस्थता से हमास व इसराइल के बीच हुए समझौते के बाद, इसराइली सेना ने ग़ाज़ा के कुछ हिस्सों से वापसी की है, जिसके बाद इस अन्तरराष्ट्रीय बैठक को आयोजित किया गया है.

यूएन प्रमुख ने सभी पक्षों से इस रफ़्तार को बनाए रखने और युद्धविराम के तहत अपने सभी संकल्पों का सम्मान करने की अपील की है, ताकि ग़ाज़ा में दुस्वप्न का अन्त किया जा सके.

संयुक्त राष्ट्र ने आपात राहत अभियान को समर्थन देने के इरादे से केन्द्रीय प्रतिक्रिया कोष से 1.1 करोड़ डॉलर की धनराशि जारी करने की घोषणा की है, ताकि सर्दी के मौसम से पहले आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके.

इससे पहले, पिछले सप्ताह अस्पतालों और अति-आवश्यक सेवाओं के लिए ईंधन आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 90 लाख डॉलर की रक़म आवंटित की गई थी.

वहीं, ग़ाज़ा में यूएन मानवीय सहायता एजेंसियाँ ज़रूरतमन्द आबादी तक राहत पहुँचाने के प्रयासों में जुटी हैं.

यूएन मानवतावादी कार्यालय (OCHA) ने बताया कि सहायता अभियान का स्तर बढ़ाया जा रहा है. इसराइल से 1.90 लाख टन भोजन, आश्रय सामान, दवाओं व अन्य आपूर्ति की स्वीकृति मिल चुकी है.

इस वर्ष मार्च महीने के बाद यह पहली बार होगा, जब ग़ाज़ा में खाना पकाने के लिए गैस की आपूर्ति की अनुमति दी गई है. इसके अलावा, विस्थापित परिवारों के लिए टैंट, माँस, फल, आटा, और दवाओं को भी रविवार से ग़ाज़ा के लिए रवाना किया गया है.

मानवीय सहायता की आपूर्ति

यूएन एजेंसियों ने बताया है कि ग़ाज़ा के अनेक हिस्सों में पहले की तुलना में कहीं अधिक आसानी से आने-जाने में समर्थ हैं, जिससे सर्वाधिक आवश्यकताओं वाले इलाक़ों में मदद पहुँचाना सम्भव हो सकेगा. इससे पहले इसराइली प्रशासन ने यहाँ आवाजाही पर निरन्तर पाबन्दी थोपी हुई थी.

यूएन मानवतावादी कार्यालय ने कहा कि युद्धविराम के पहले 60 दिनों में, संयुक्त राष्ट्र और साझेदार संगठनों की योजना ग़ाज़ा के हर हिस्से में जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने की है. इसके तहत:

21 लाख लोगों तक खाद्य सहायता, रसद, बेकरी, रसोई का सामान पहुँचाया जाएगा. चरवाहों व मछुआरों के लिए आजीविका बहाली के प्रयास होंगे. साथ ही, दो लाख परिवारों को नक़दी सहायता प्रदान की जाएगी.

आश्रय सम्बन्धी सहायता में विस्थापित व सम्वेदनशील परिस्थितियों में जीवन गुज़ार रहे परिवारों को प्राथमिकता दी जाएगी और सर्दी के मौसम से पहले उनके लिए टैंट, तिरपाल व अन्य सामान वितरित किया जाएगा.

पोषण कार्यक्रम के ज़रिए बच्चों, किशोरों, गर्भवती व स्तनपान करा रही महिलाओं की जाँच की जाएगी और ज़रूरत होने पर उन्हें पौष्टिक आहार मुहैया कराया जाएगा.

स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को बहाल किया जाएगा और अति-आवश्यक दवाओं, रोग निगरानी, आपात व मातृत्व देखभाल, मानसिक स्वास्थ्य व पुनर्वास केन्द्रों की व्यवस्था की जाएगी.

जल एवं साफ़-सफ़ाई सेवाओं की परियोजनाओं के तहत 14 लाख लोगों के लिए स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबन्धन, सीवर प्रणाली व अन्य प्रकार की मरम्मत कार्य को सम्पन्न किया जाएगा.

सात लाख से अधिक बच्चों की शिक्षा के लिए अस्थाई पढ़ाई-लिखाई केन्द्रों को फिर से खोला जाएगा और पाठन सामग्री व अन्य गतिविधियों को सुनिश्चित किया जाएगा.

युद्ध के लक्षण

पिछले दो वर्षों से जारी अत्यधिक हिंसा व निरन्तर इसराइली बमबारी से अनेक परिवारों के पास वापिस लौटने के लिए कोई घर नहीं है.

इस हिंसा के स्थानीय आबादी पर शारीरिक व मनोसामाजिक दुष्प्रभाव भी हुए हैं, जिससे निपटने के प्रयास किए जा रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने बताया है कि ग़ाज़ा पट्टी में सभी 10 लाख बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य व मनोसामाजिक समर्थन की आवश्यकता है.

युद्ध के कारण बच्चों में सुरक्षा भाव की कमी है, उनका विकास व कल्याण प्रभावित हुआ है, और उनमें गहरे तनाव, दबाव के लक्षण, जैसेकि दुस्वप्न, बिस्तर गीला करना, खोए हुए रहना देखे जा सकते हैं.

इसके मद्देनज़र, यूनीसेफ़ ने ऐसे कार्यक्रमों को समर्थन प्रदान किया है, जिनसे बच्चों को तनाव, दर्दनाक विचारों व तस्वीरों से निपटने के तौर-तरीक़े सिखाए जाएंगे.

यूनीसेफ़ के अनुसार, वर्ष 2025 में ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले हर 10 में से आठ बच्चों ने सदमे व तनाव के लक्षणों में कमी आने की बात कही है.

Source: UN News Hindi

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