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हर साल हज़ारों उम्मीदवार यूजीसी-नेट परीक्षा पास करते हैं, ताकि वे असिस्टेंट प्रोफ़ेसर या जूनियर रिसर्च फेलो (JRF) बन सकें। लेकिन अगर कोई यह सोचता है कि इस परीक्षा को पास करने के बाद करियर का रास्ता सिर्फ़ एकेडमिक्स तक सीमित है, तो अब समय है अपनी सोच बदलने का। दरअसल, यूजीसी-नेट पास करने वालों के लिए आज न सिर्फ़ यूनिवर्सिटी या कॉलेज बल्कि रिसर्च, पब्लिक सेक्टर, कॉरपोरेट कंपनियों और एड्यूटेक प्लेटफ़ॉर्म्स में भी ढेरों अवसर हैं।
किसान के बेटे से जेआरएफ स्कॉलर बने योगेंद्र की कहानी
उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले के एक गांव से आने वाले योगेंद्र किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे फिलहाल दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से पीएचडी कर रहे हैं। साल 2023 में उन्होंने दूसरी बार यूजीसी-नेट की परीक्षा दी और इस बार वे जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) के लिए क्वालिफ़ाई हुए।
योगेंद्र कहते हैं, “अभी मेरा पूरा ध्यान रिसर्च पर है, लेकिन अगर भविष्य में किसी प्राइवेट या मल्टीनेशनल कंपनी में कोई अच्छा अवसर मिलता है, तो मैं उसे भी ऐसे ही नहीं जाने दूंगा।” उनकी यह सोच आज के नए पीढ़ी के रिसर्च स्कॉलर्स की मानसिकता को दिखाती है — जहां करियर अब सिर्फ़ क्लासरूम तक सीमित नहीं है।
क्या है यूजीसी-नेट परीक्षा?
यूजीसी-नेट (UGC-NET) यानी यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है जिसे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) आयोजित करती है। जो उम्मीदवार इसे पास करते हैं, वे देशभर में असिस्टेंट प्रोफ़ेसरशिप के लिए पात्र बन जाते हैं। हालांकि यह परीक्षा नौकरी की गारंटी नहीं देती, बल्कि यह एक एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया है।
अब इस परीक्षा की तीन कैटेगरी हैं :
-जेआरएफ (JRF) – जूनियर रिसर्च फेलोशिप के लिए चयनित उम्मीदवार
-नेट क्वालिफ़ाइड (Assistant Professor Eligibility) – शिक्षण के लिए पात्र उम्मीदवार
-पीएचडी एलिजिबिलिटी कैटेगरी – पीएचडी प्रवेश के लिए पात्र छात्र
इसके अलावा NTA साल में दो बार इस परीक्षा का आयोजन करता है और परीक्षा कंप्यूटर बेस्ड (CBT) मोड में होती है।
कौन दे सकता है यूजीसी-नेट?
-उम्मीदवार के पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होने चाहिए।
-आरक्षित वर्गों और महिलाओं को 5% अंकों की छूट दी जाती है।
-जेआरएफ के लिए अधिकतम उम्र 30 वर्ष है, जबकि असिस्टेंट प्रोफ़ेसरशिप के लिए कोई ऊपरी सीमा नहीं।
कैरियर एक्सपर्ट संजीव जून के अनुसार, “नेट क्लियर करने वालों में से सिर्फ़ टॉप परसेंटाइल उम्मीदवारों को ही जेआरएफ मिलता है।” जेआरएफ स्कॉलर्स को सरकार की ओर से ₹37,000 प्रतिमाह स्टाइपेंड, एचआरए, और ₹10,000 सालाना ग्रांट दी जाती है। दो साल के बाद अच्छा प्रदर्शन करने वाले उम्मीदवारों को एसआरएफ (Senior Research Fellowship) के लिए रिकमेंड किया जाता है, जिसमें राशि बढ़कर ₹42,000 प्रतिमाह और ग्रांट ₹20,000 सालाना हो जाती है।
कैसे पास करें यूजीसी-नेट
संजीव जून के मुताबिक सफलता की कुंजी है — संतुलित तैयारी और रणनीति। पेपर 1 को हल्के में न लें, इसे विषय पेपर जितना ही महत्व दें। आसान सवाल पहले करें, मुश्किलों को बाद के लिए रखें। पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का अभ्यास करें क्योंकि कई सवाल दोहराए जाते हैं। नेगेटिव मार्किंग नहीं होती, इसलिए हर सवाल का जवाब देना फायदेमंद है।
नेट पास करने के बाद करियर विकल्प
-टीचिंग और एकेडमिक्स: सबसे पहला रास्ता — किसी विश्वविद्यालय या कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर बनना।
-रिसर्च प्रोजेक्ट्स: जेआरएफ क्वालिफ़ाई करने वाले उम्मीदवार देश-विदेश के बड़े रिसर्च प्रोजेक्ट्स और जर्नल्स से जुड़ सकते हैं।
रिसर्च ऑर्गनाइजेशन्स करियर काउंसलर परवीन मल्होत्रा के अनुसार, “अगर जेआरएफ नहीं मिला तो कैंडिडेट्स CSIR, ICSSR जैसे संगठनों के प्रोजेक्ट्स में रिसर्च एसोसिएट के रूप में काम कर सकते हैं।” इसके अलावा BHEL, NTPC, IOC जैसे पब्लिक सेक्टर उपक्रमों में नेट क्वालिफ़ाइड उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाती है।
-थिंक टैंक और रिसर्च इंस्टीट्यूट्स
डॉ. संजीब आचार्य बताते हैं कि भारत में कई थिंक टैंक और पॉलिसी संस्थान नेट क्वालिफ़ाइड उम्मीदवारों को डेटा एनालिस्ट, रिसर्चर और पब्लिशिंग एक्सपर्ट के रूप में नियुक्त करते हैं।
इनमें प्रमुख हैं —
CSIR (Council of Scientific & Industrial Research)
ICAR (Indian Council of Agricultural Research)
ICMR (Indian Council of Medical Research)
DRDO (Defence Research and Development Organisation)
-एडमिनिस्ट्रेटिव और कोऑर्डिनेशन रोल्स: नेट पास उम्मीदवार विश्वविद्यालयों के एकेडमिक कोऑर्डिनेटर, डिपार्टमेंट एडमिनिस्ट्रेटर या प्रोग्राम डिजाइनर के तौर पर भी काम कर सकते हैं।
-एड्यूटेक सेक्टर और कंटेंट डेवलपमेंट: ऑनलाइन एजुकेशन के बढ़ते दौर में एड्यूटेक कंपनियां नेट क्वालिफ़ाइड उम्मीदवारों को प्राथमिकता देती हैं। ये कंपनियां स्टडी मटीरियल, वीडियो लेक्चर, ऑनलाइन कोर्स डिजाइन करवाती हैं। उम्मीदवार कंटेंट डेवलपर, सब्जेक्ट एक्सपर्ट या गेस्ट फैकल्टी के रूप में काम कर सकते हैं। सरकारी प्लेटफ़ॉर्म जैसे ‘स्वयं’ और ‘दीक्षा’ भी ऐसे उम्मीदवारों को कंटेंट क्रिएशन के लिए वरीयता देते हैं।
-सरकारी और पॉलिसी रिसर्च संस्थान: नेट पास उम्मीदवारों के लिए सरकारी एजेंसियों और शिक्षा मंत्रालय में भी अवसर हैं। शिक्षा मंत्रालय, एनसीईआरटी, इंडियन काउंसिल ऑफ़ हिस्टोरिकल रिसर्च जैसे संस्थानों में शोध और नीति निर्माण से जुड़े पद उपलब्ध होते हैं। राज्य शिक्षा विभागों में सिलेबस निर्माण और शिक्षा नीति के कार्यान्वयन से जुड़ी भूमिकाएं भी खुलती हैं।
-कॉरपोरेट सेक्टर में अवसर: कुछ पीएसयू जैसे IOCL, NTPC, BHEL, ONGC और HTCL में नेट क्वालिफ़ाइड उम्मीदवारों को प्राथमिकता मिलती है। कई मल्टीनेशनल कंपनियां भी रिसर्च, पॉलिसी, डेटा एनालिसिस या ट्रेनिंग डिवीजन में ऐसे उम्मीदवारों को नियुक्त करती हैं।
निष्कर्ष : यूजीसी-नेट पास करना सिर्फ़ क्लासरूम या लेक्चरशिप तक सीमित नहीं है। यह आपको रिसर्च, एडमिनिस्ट्रेशन, पब्लिक सेक्टर, एड्यूटेक, पॉलिसी एनालिसिस और कंटेंट डेवलपमेंट जैसे कई क्षेत्रों में करियर की दिशा दे सकता है।
जैसे जेएनयू के योगेंद्र कहते हैं — “एकेडमिक्स मेरा पैशन है, लेकिन अब ये एकमात्र रास्ता नहीं है।”
