श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के आगामी विधानसभा चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन देने के फैसले पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जो चुनाव पहले उनके लिए “हराम” (निषिद्ध) माने जाते थे, अब वे “हलाल” (अनुमेय) हो गए हैं।
अब्दुल्ला ने कहा, “अब तक चुनावों को हराम बताया जाता था, लेकिन अब वही चुनाव जायज ठहराए जा रहे हैं। यह बदलाव बुरा नहीं है। हमने हमेशा कहा कि चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से होना चाहिए। हम चाहते थे कि जमात-ए-इस्लामी पर लगा प्रतिबंध हटाया जाए ताकि वे अपनी पार्टी और चुनाव चिह्न के साथ वापस आ सकें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में शामिल हो रहे हैं।”
उन्होने कहा, “अभी तक तो कहा जा रहा था कि चुनाव हराम है। चलिये देर आये दुरूस्त आये। अब इलेक्शन जो है वो हलाल है और इस में हर किसी को अब शिर्कत करने की बात जा रही है। हमें तो पहले दिन से कहते आए जनाब, जो भी होगा जमहूरी तरीके से। अब 30-35 साल जमात-ए-इस्लामी की जो सियासी सोच जो रही है, हमारे अंदर और आज की सोच में बदलाव आया है जो बुरी बात नहीं है। हम तो चाहते थे उनके ऊपर जो बैन लगा वो बैन उठे और वो अपनी पार्टी और सिंबल पर आएं, लेकिन बदकिस्मती से दिल्ली में वो फेलसा हुआ नहीं। चलिये सिंबल पे ना सही, आज़ाद उम्मीदवर के तोर पे हे मैदान में उतरे।
मंगलवार को, जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर द्वारा समर्थित चार उम्मीदवारों ने विधानसभा चुनावों के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया। इनमें से एक उम्मीदवार तलत मजीद भी हैं, जिन्होंने पुलवामा निर्वाचन क्षेत्र के लिए अपना नामांकन प्रस्तुत किया।
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 27 फरवरी को जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर प्रतिबंध को पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया था। 2019 में पुलवामा हमले के बाद जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिसमें 40 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान मारे गए थे।