यरुशलम: इजरायली राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-ग्वीर के पूर्वी यरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद परिसर में एक यहूदी मंदिर स्थापित करने पर ज़ोर दिया। उनके इस बयान पर दुनिया भर से तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली। दरअसल बेन-ग्वीर ने सोमवार को बयान दिया कि यहूदियों को अल-अक्सा मस्जिद में प्रार्थना का अधिकार है और वे विवादित स्थल पर आराधनालय बनाने का इरादा रखते हैं।
इजरायली मंत्री के इस बयान की सऊदी अरब ने “दुनिया भर के मुसलमानों की भावनाओं को भड़काने” का प्रयास करार देते हुए इसकी तीखी आलोचना की। सऊदी विदेश मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे फिलिस्तीनी मानवीय संकट को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाएं और इजरायली अधिकारियों को अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराएं।
फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने बेन-ग्वीर के बयान को पूरे क्षेत्र को “धार्मिक संघर्ष” में घसीटने का प्रयास बताया। प्रवक्ता नबील अबू रुदीनेह ने चेतावनी दी कि “अल-अक्सा मस्जिद एक लाल रेखा है, जिसे किसी भी स्थिति में पार नहीं किया जा सकता।”
तुर्की ने भी बेन-ग्वीर के बयान की निंदा की है। न्याय और विकास पार्टी के प्रवक्ता ओमर सेलिक ने इसे “घृणित” करार दिया और कहा कि यह बयान मुसलमानों और मानवता पर हमला है।
मिस्र के विदेश मंत्रालय ने इजरायल से अल-अक्सा मस्जिद की ऐतिहासिक स्थिति का सम्मान करने और इस्लामी और ईसाई पवित्र स्थलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने का अनुरोध किया। मिस्र ने इजरायल से भड़काऊ बयानों को रोकने की भी अपील की।
जॉर्डन ने इस आह्वान को “अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और अस्वीकार्य उकसावा” करार दिया। जॉर्डन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से स्पष्ट और मजबूत प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर बल दिया।
कतर ने भी इस आह्वान की निंदा करते हुए इसे अल-अक्सा मस्जिद की ऐतिहासिक और कानूनी स्थिति को बदलने का प्रयास बताया। कतरी विदेश मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल कार्रवाई की मांग की और इजरायली कब्जे का निर्धारण करने की अपील की।
इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने भी बेन-ग्वीर के बयान को “जिनेवा सम्मेलनों और अंतर्राष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन” बताया। OIC ने यरुशलम को फिलिस्तीनी क्षेत्र का अभिन्न अंग और फिलिस्तीन राज्य की राजधानी मानते हुए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया।
अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम में तीसरे सबसे पवित्र स्थल के रूप में मानी जाती है, जबकि यहूदी इसे टेंपल माउंट मानते हैं। 1967 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान इजरायल ने पूर्वी यरुशलम पर कब्जा किया और 1980 में पूरे शहर को अपने अधिकार में ले लिया, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मान्यता नहीं दी है।