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हम अपने दांत हर दिन दो बार ब्रश करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपका टूथब्रश खुद में एक छोटा-सा माइक्रोब वर्ल्ड है? वैज्ञानिकों के अनुसार, एक सामान्य टूथब्रश पर 10 लाख से लेकर 1.2 करोड़ बैक्टीरिया और फंगस मौजूद हो सकते हैं। ये सभी सूक्ष्म जीव अलग-अलग प्रजातियों के हैं और ब्रश की नाजुक प्लास्टिक रेशों के बीच पनपते हैं।
अब सवाल ये है की सूक्ष्म जीव कहां से आते हैं?
जर्मनी की राइन-वेल यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंसेज़ के माइक्रोबायोलॉजिस्ट मार्क-केविन ज़िन बताते हैं कि टूथब्रश पर मौजूद सूक्ष्म जीव मुख्य रूप से तीन स्रोतों से आते हैं:
-हमारा मुंह – रोज़ाना ब्रश करते समय मौजूद जीव ब्रश पर रहते हैं।
-हमारी त्वचा – हाथों और चेहरे से।
-ब्रश रखने की जगह – खासकर बाथरूम।
ब्राज़ील के एक अध्ययन में 40 नए टूथब्रशों की जांच की गई और पाया गया कि आधे ब्रश पहले से ही बैक्टीरिया से संक्रमित थे।
इसके अलावा अधिकतर सूक्ष्म जीव हानिरहित होते हैं और हमारे मुंह में पहले से मौजूद होते हैं, जैसे: रोथिया डेन्टोकारिओसा, स्ट्रेप्टोकॉकस माइटिस, एक्टिनोमायसीज़ ये जीव हमारे दांतों को हानिकारक जीवाणुओं से बचाने में मदद करते हैं।
लेकिन कुछ बैक्टीरिया हानिकारक भी हो सकते हैं, जैसे :
-स्ट्रेप्टोकॉकी और स्टैफिलोकोकी – दांतों में सड़न और मसूड़ों की सूजन (पेरियोडॉन्टल डिज़ीज़) का कारण बन सकते हैं।
-ई.कोलाई, स्यूडोमोनास ऐरूजिनोसा, एंटरोबैक्टीरिया – पेट की बीमारियों और फूड पॉइज़निंग से जुड़े।
-क्लेब्सीएला न्यूमोनिए और कैंडिडा यीस्ट – अस्पतालों में संक्रमण और थ्रश जैसी समस्याओं से जुड़े।
बाथरूम और टॉयलेट – संक्रमण का स्रो त
बाथरूम गर्म और नम जगह होती है, जो बैक्टीरिया और वायरस के लिए आदर्श है। टॉयलेट फ्लश करने पर पानी और मल की सूक्ष्म बूंदें 1.5 मीटर तक फैल सकती हैं। ये बूंदें बैक्टीरिया और वायरस से भरी होती हैं और अगर टूथब्रश पास रखा हो तो रेशों पर जा सकती हैं। हालांकि, इलिनॉय की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर एरिका हार्टमैन के अनुसार, ज़्यादातर लोगों के लिए इससे बीमार होने का खतरा कम है।
टूथब्रश पर वायरस की मौजूदगी
इन्फ़्लूएंज़ा और कोरोनावायरस कई घंटों तक ब्रश पर जीवित रह सकते हैं। हर्पीज़ सिम्प्लेक्स वायरस-1 48 घंटे तक रह सकता है। इसलिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं: टूथब्रश साझा न करें, और एक ही जगह कई ब्रश एक साथ न रखें।
ब्रश को साफ और सुरक्षित कैसे रखें
-ब्रश को सीधे खड़ा करके कमरे के तापमान पर सूखने दें।
-ब्रश का सिर ढककर या बंद डिब्बे में न रखें, क्योंकि नमी बढ़ती है।
-हर तीन महीने में ब्रश बदलें, और रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर जल्दी बदलें।
-एंटिसेप्टिक माउथवॉश में 5–10 मिनट भिगोना प्रभावी तरीका है।
-1% सिरके का घोल बैक्टीरिया कम कर सकता है।
-फ़्लश करने से पहले टॉयलेट सीट बंद करें और ब्रश को टॉयलेट से दूर रखें।
कुछ ब्रश “एंटीमाइक्रोबियल कोटिंग” वाले आते हैं, लेकिन अध्ययनों के मुताबिक़ उनका प्रभाव सीमित है और कभी-कभी प्रतिरोधी बैक्टीरिया को बढ़ावा भी दे सकते हैं।
प्रोबायोटिक ब्रश – भविष्य की दिशा
वैज्ञानिक ऐसे टूथपेस्ट और ब्रश पर काम कर रहे हैं जो अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, और हानिकारक जीवों को दबाते हैं। जैसे –
-स्ट्रेप्टोकॉकस सैलिवेरियस – हानिकारक बैक्टीरिया को रोकता है।
-लिमोसिलैक्टोबैसिलस रॉयटेरी – स्ट्रेप्टोकॉकस म्यूटन्स से प्रतिस्पर्धा करता है, जिससे दांत सड़न से बचते हैं।
मार्क-केविन ज़िन का मानना है कि भविष्य में प्रोबायोटिक कोटिंग्स और बायोएक्टिव ब्रिसल्स हमारे टूथब्रश को संक्रमण का स्रोत नहीं बल्कि सुरक्षा का माध्यम बना सकते हैं।
निष्कर्ष
-अगर आपका ब्रश तीन महीने से पुराना, टूटे या घिसे रेशों वाला है, तो इसे तुरंत बदलें।
-ब्रश को टॉयलेट और नमी से दूर रखें।
-फ़्लश करने से पहले टॉयलेट सीट बंद करें।
-साझा ब्रश कभी न इस्तेमाल करें।
-आपके दांतों की सुरक्षा के लिए टूथब्रश बदलना सिर्फ़ एक रोज़मर्रा की आदत नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की एक अहम जरूरत है।
